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सफ़ेद लट के लिए कौनसे प्रतिबंधक और नियंत्रण उपाय किये जा सकते है?

सफ़ेद लट

कौनसे प्रतिबंधक और नियंत्रण उपाय किये जा सकते है सफ़ेद लट एक ऐसी किट है जो की खरीप सीजन में उगाई जानेवाली फसलों को 50-80 प्रतिशत का नुकसान कर सकती है| वैसे देखा जाये तो गन्ना, मूंगफली, आलू के साथ बहोत सारे नगद फसलों के साथ सब्जियों में भी यह किट बहोत बड़ा नुकसान कर सकती है|
सफ़ेद लट किट का नुकसान तो बड़ी मात्रा में होता है और उतना ही मुश्किल इस कोई का नियंत्रित करना है| क्यूंकि यह सफ़ेद लट मिटटी के अंदर रहकर फसल को नुकसान करते है और अगर ऊपर से कितने भी नियंत्रण उपाय करे लेकिन इसे नियंत्रित उतना ही मुश्किल होता है| तो आज हम जानते है की इस सफ़ेद लट के लिए कौनसे प्रतिबंधक और प्रबंधन उपाय किये जा सकते है?

सफ़ेद लट का जीवनचक्र:-
सफेद लट पूरे वर्ष मौजूद रहते हैं, लेकिन इनकी सक्रियता अधिकतम बरसात के मौसम के दौरान ज्यादा दिखाई देती है। मानसून की पहली बारिश जो की अप्रैल मई के महीने में होती है तकिट के घुन बड़ी संख्या में बाहर आते हैं और खेत में जो भी पेड़ और पौधे होते है उनपर पत्तियां खाने के लिए एकठा हो जाते है तभी उनका मादा के साथ मेटिंग होता है| उसके बाद नर घुन मर जाते है और मादा घुन जुताई की गई खेत में जगह जगह पर अंडे देती है| अण्डों से निकली इल्ली 4-5 महीने फसल को नुकसान पहुंचती है और उसके बाद मिटटी में कोशिका अवस्था में चली जाती है|

किसी क्षेत्र में यदि सफेद लट का प्रकोप है तो वहां इसका प्रबंधन एक अकेले किसान के प्रयस से संभव नहीं है इसके लिए समुदायिक तौर पर सभी किसान को रोकथाम के उपाय करने पड़ेंगे।

किट के प्रतिबंधक उपाय:-
* मानसून की बारिश के बाद घुन शाम को नीम, बबूल या अन्य पेड़ों की पत्तियों को खाने के लिए आते हैं। ऐसे समय में घुन को डंडे से नीचे गिराकर उन्हें एक साथ इकट्ठा करके मिट्टी के तेल या कीटनाशक के पानी में डुबोकर नष्ट कर देना चाहिए।

* लाइट ट्रैप का प्रयोग करें। शाम 7 बजे के बाद नीम जैसे पेड़ के नीचे लाइट का बल्ब लगाएं और उसके नीचे एक चौड़ा बर्तन रखकर उसमें डीजल या कीटनाशक मिला पानी रखे। घुन लाइट से आकर्षित होकर पानी में गिरकर मर जाते हैं।

* जिन क्षेत्रों में (होलोट्रेकिया सेराटा) प्रजाति का प्रकोप अधिक रहता है लेकिन वहाँ पर लाइट ट्रैप लगाने के लिए कोई उपलब्धता नहीं है उस जगह घुन को नियंत्रित करने के लिए व्हाइट ग्रब ल्यूर और बकेट ट्रैप 4 से 5 प्रति एकड़ की दर से लगाकर घुन के नियंत्रित करें।

* अरंडी के बीज 1 किलो (बारीक पिसे हुए), 50 ग्राम यीस्ट पाउडर, 50 ग्राम बेसन और आधा लीटर छाछ को 2 लीटर पानी में भिगोकर 2 से 3 दिन तक वैसे ही रखे। 3 दिन के बाद तैयार मिश्रण को मिट्टी के 5 बर्तन में डालकर प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में गाड़ दें। इससे घुन आकर्षित होते हैं।

* भृंग नियंत्रण के लिए आप जिस पौधों या पेड़ों पर ये भृंग दिखाई देते है उसपर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL का छिड़काव करके बीटल का प्रबंधन कर सकते है|

किट नियंत्रण उपाय:-
* जैविक किट नियंत्रण में BVM (बिव्हेरिआ बेसियाना, वर्टिसिलियम लेकानी, मेटारायजियम एनसोपली) का उपयोग कर सकते है| अच्छी सड़ी गोबर 10-15 किलो की खाद में BVM मिलाकर इसको खेत में फ़ैल दे या पानी में मिलाकर ड्रेंचिंग या ड्रिप से खेत छोड़ सकते है|
* इसके साथ आप EPN (एंटोमो पैथोजेनिक निमेटोड) का भी उपयोग सफ़ेद लट के प्रबंधन के लिए कर सकते है|
* बड़े गन्ने में आप मेटारायझियम या क्लोरोपायरीफोस का ड्रिंकिंग कर सकते है|
* या आप फिप्रोनिल 0.3 ग्रेनुअल्स फसल के जड़ों के पास डाल सकते है और अगर जरुरत हो तो हल्का पानी भी दे सकते हो|
स्त्रोत-अग्रोवोन और इंटरनेट

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