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जीरो बजट खेती। बिना रसायनों के खेती कैसे करे।

सब्जीया करनेवाले किसान मुख्य रूप से अधिक उत्पाद प्राप्त करने के लिए नईनई चीजों का उपयोग करते देखे जाते हैं। लेकिन आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य पर रसायनों के प्रभाव को देखना भी उतना ही जरूरी है। किसान अक्सर फसल की वृद्धि या कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं का उपयोग करते हैं। लेकिन यह जानना जरूरी है कि कौन सी रासायनिक दवा का इस्तेमाल कब और कितना करना चाहिए।
किसानों के लिए निर्यात योग्य गुणवत्ता वाली कृषि उपज के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा का भी ध्यान रखना जरूरी है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पर ध्यान देने की जरूरत है। कृषि वस्तुओं के निर्यात के साथ-साथ गुणवत्ता, कीट और रोग मुक्त, रेसिड्यू की गारंटी, खाद्य सुरक्षा और सीधे खेत से निर्यात किए गए माल की पहचान आदि का वैश्विक बाजार में भी विशेष महत्व है।
ऑरगॅनिक पदार्थो का उपयोग :-
हमें सब्जी की वृद्धि या कीट नियंत्रण के लिए आसानी से उपलब्ध ऑरगॅनिक पदार्थों का उपयोग करने की आवश्यकता है।फसल वृद्धि के लिए हम वर्मीकम्पोस्ट, गाय के गोबर, निम युक्त उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं, इन सबके साथ साथ हम फसल वृद्धि के लिए जानवरों के मलमूत्र से तैयार घोल का उपयोग कर सकते हैं।
कीट प्रबंधन:-
कीट प्रबंधन की दृष्टि से शुरू से ही नीम का तेल, दशपर्णी का अर्क जैसी चीजों का उपयोग करना जरूरी है। इसके अलावा, शुरू से ही प्राथमिक कीट नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रॅप और रसशोषक किटों के नियंत्रण के लिए पीले-नीले स्टिकी ट्रॅप का उपयोग करें साथ हि साथ जैविक कीटनाशकों का प्रयोग आवश्यक है।
लेबल क्लेम देखकर कीटनाशकों का प्रयोग:-
स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से उपभोक्ताओं में जागरूकता पैदा हो गई है। कीटनाशक अवशेषों के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को ध्यान में रखते हुए जैविक रूप से प्रमाणित कृषि उपज और कीटनाशक अवशेष मुक्त कृषि उपज की मांग में वृद्धि हो रही है। केंद्र सरकार द्वारा फरीदाबाद में केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति में कानूनी रूप से प्रमाणित कीटनाशकों का उपयोग (लेबल क्लेम) प्रमुख फलों और सब्जियों की फसलों पर कीटों और बीमारियों की रोकथाम करना अनिवार्य है। इसलिए अब से फलों और सब्जियों में कीटनाशक मुक्त शेष की गारंटी के लिए लेबल क्लेम कीए कीटनाशकों का उपयोग करना आवश्यक है।
इन सभी चीजों का एक साथ उपयोग करना जरूरी है। रसायनों के न्यूनतम उपयोग और एकीकृत प्रबंधन प्रथाओं के साथ, अवशेष मुक्त पैदावार सुनिश्चित की जा सकती हैं।

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