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अरविंद केजरीवाल का जीवन: एक प्रेरक कहानी

अरविंद केजरीवाल का जीवन: एक प्रेरक कहानी

अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति के ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अपनी ईमानदारी, सादगी और दृढ़ निश्चय से देश की राजनीति में एक नई दिशा दी है। वे न केवल एक राजनेता हैं बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता और बदलाव के प्रतीक भी हैं। उनका जीवन संघर्ष, संकल्प और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा से भरा हुआ है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार जिले में हुआ। उनके पिता गोविंद राम केजरीवाल एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। अरविंद का परिवार मध्यमवर्गीय था, और उनका पालन-पोषण सरल और अनुशासनप्रिय वातावरण में हुआ।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिसार के कैंपस स्कूल से प्राप्त की। केजरीवाल बचपन से ही एक मेधावी छात्र रहे। उनका झुकाव गणित और विज्ञान की ओर अधिक था। 1985 में उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर में प्रवेश लिया, जहाँ से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया।

पेशेवर जीवन की शुरुआत

IIT से स्नातक करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने टाटा स्टील, जमशेदपुर में नौकरी शुरू की। हालांकि, उनकी रुचि सामाजिक सेवा में थी, और वे नौकरी से संतुष्ट नहीं थे। कुछ समय बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की तैयारी में जुट गए।

सिविल सेवा और सामाजिक कार्यों की ओर रुझान

अरविंद केजरीवाल ने 1995 में सिविल सेवा परीक्षा पास की और भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में शामिल हुए। उनकी नियुक्ति आयकर विभाग में हुई। लेकिन यहां भी उनका मन सरकारी तंत्र की जटिलताओं और भ्रष्टाचार में नहीं रमा।

2000 में उन्होंने एक साल की छुट्टी ली और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हो गए। इस दौरान वे दिल्ली के ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी’ और रामकृष्ण मिशन से जुड़े। यह अनुभव उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव लेकर आया।

परिवर्तन की दिशा में कदम

2001 में उन्होंने “परिवर्तन” नामक एक गैर-सरकारी संगठन की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना और आम नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना था। ‘परिवर्तन’ ने सूचना का अधिकार (RTI) के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाई।

अरविंद केजरीवाल ने RTI को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और सरकारी तंत्र की जवाबदेही तय करने के लिए इसे आम जनता तक पहुंचाया। इस अभियान ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

अन्ना आंदोलन और राष्ट्रीय पहचान

2011 में अरविंद केजरीवाल सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए जनलोकपाल आंदोलन से जुड़े। यह आंदोलन देशभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी लहर बन गया।

अरविंद ने इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने जनलोकपाल विधेयक के मसौदे को तैयार करने में मदद की। हालांकि, आंदोलन के बाद उन्होंने महसूस किया कि केवल जन आंदोलन से बदलाव नहीं लाया जा सकता, इसके लिए राजनीति में सक्रिय भागीदारी जरूरी है।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत

2012 में अरविंद केजरीवाल ने ‘आम आदमी पार्टी’ (AAP) की स्थापना की। पार्टी का मुख्य उद्देश्य देश से भ्रष्टाचार को समाप्त करना और आम आदमी के मुद्दों को सुलझाना था।

2013 में पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और शानदार प्रदर्शन किया। AAP ने 28 सीटें जीतकर कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई। अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, उनकी पहली सरकार ज्यादा समय तक नहीं चली और 49 दिनों बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

दूसरा कार्यकाल और चुनौतियां

2015 में AAP ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल की। पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतीं, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। अरविंद केजरीवाल ने फिर से मुख्यमंत्री पद संभाला।

उनके दूसरे कार्यकाल में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, और पानी के क्षेत्रों में कई सुधार हुए। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर हुआ, मोहल्ला क्लीनिक जैसी स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की गईं, और बिजली-पानी की दरों में कमी की गई।

व्यक्तिगत जीवन

अरविंद केजरीवाल का विवाह सुनीता केजरीवाल से हुआ, जो खुद एक पूर्व IRS अधिकारी हैं। उनके दो बच्चे हैं, एक बेटी हर्षिता और एक बेटा पुलकित।

केजरीवाल का जीवन सरलता का प्रतीक है। वे आज भी सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं और दिखावे से दूर रहते हैं। उनकी ईमानदारी और कर्मठता उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है।

पुरस्कार और सम्मान

अरविंद केजरीवाल को उनके सामाजिक और प्रशासनिक कार्यों के लिए कई सम्मान मिले हैं। 2006 में उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें सामाजिक नेतृत्व के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए मिला।

आलोचनाएं और विवाद

अपने राजनीतिक जीवन में अरविंद केजरीवाल ने कई विवादों का सामना किया। उनके आलोचक उन्हें ‘आदर्शवादी’ और ‘अव्यवहारिक’ कहते हैं। लेकिन केजरीवाल हर आलोचना का जवाब अपने काम से देते हैं।

निष्कर्ष

अरविंद केजरीवाल का जीवन यह संदेश देता है कि अगर इंसान में दृढ़ निश्चय हो, तो वह बड़े से बड़े बदलाव ला सकता है। एक मध्यमवर्गीय परिवार से उठकर, उन्होंने देश की राजनीति में एक नई सोच और ईमानदारी की मिसाल पेश की है।

उनका जीवन न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समाज में बदलाव लाने के लिए एक व्यक्ति की कोशिशें कितनी महत्वपूर्ण हो सकती हैं। अरविंद केजरीवाल आज भी अपने सिद्धांतों पर अडिग हैं और आम आदमी के लिए काम कर रहे हैं।

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